MC Explains : बैंकों-एनबीएफसी के कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट बढ़ने का क्या मतलब है, ग्राहकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

MC Explains : बैंकों-एनबीएफसी के कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट बढ़ने का क्या मतलब है, ग्राहकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

RBI ने बैंकों और NBFC के कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट 25 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा दिया है। अब तक इस पर रिस्क वेट 100 फीसदी था, जिसे बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया गया है। इससे पहले RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 6 अक्टूबर को अपने बयान में कहा था कि बैंकों और एनबीएफसी के कुछ खास तरह के कंज्यूमर लोन में ज्यादा ग्रोथ दिखी है। उन्होंने इसके मद्देनजर दोनों को आंतरिक सर्विलांस मैकेनिज्म को बढ़ाने को कहा था। इसका मकसद किसी तरह के सिस्टमैटिक रिस्क से बचना था। RBI के इस कदम का असर 17 नवंबर को बैंकों और एनबीएफसी के स्टॉक्स पर देखने को मिला। इनमें तेज गिरावट आई। सवाल है कि केंद्रीय बैंक के इस कदम का बैंकों और एनबीएफसी पर किस तरह पड़ेगा? बैंकों और एनबीएफसी के ग्राहकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

रिस्क वेट बढ़ाने का क्या मतलब है?

अब तक बैंकों और एनबीएफसी के लिए कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट 100 फीसदी था। इसे बढ़ाकर 125 फीसदी करने का मतलब है कि अब बैंकों और एनबीएफसी को ग्राहकों को कंज्यूमर लोन देने पर पहले से ज्यादा कैपिटल अलग रखना होगा। ग्राहक टीवी, एसी, फ्रिज जैसे कंज्यूमर गुड्स खरीदने के लिए लोन लेते हैं। इसे कंज्यूमर लोन कहा जाता है। पिछले कुछ सालों में लोन के इस सेगमेंट की ग्रोथ ज्यादा रही है।

कंज्यूमर लोन में कौन-कौन से लोन आते हैं?

कंज्यूमर लोन में पर्सनल लोन के साथ ही कई तरह के लोन आते हैं। हालांकि, होम लोन, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन और गोल्ड या गोल्ड ज्वेलरी पर लोन इसके तहत नहीं आते हैं। आरबीआई के सर्कुलर में यह कहा गया है। कंज्यूमर लोन एक तरह से अनसेक्योर्ड लोन होते हैं। इसलिए इसमें रिस्क ज्यादा होता है।

RBI ने रिस्क वेट क्यों बढ़ाया?

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अक्टूबर में अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में कहा था कि कुछ कंज्यूमर्स लोन की ग्रोथ बहुत ज्यादा है। उन्होंने इसको लेकर सावधान किया था। उन्होंने कहा था कि आरबीआई हालात पर करीबी नजर रख रहा है। उन्होंने बैंकों और एनबीएफसी को अपने इनटर्नल सर्विलांस मैकेनिज्म स्ट्रॉन्ग बनाने के कहा था।

क्या यह नियम क्रेडिट कार्ड पर भी लागू होगा?

केंद्रीय बैंक ने क्रेडिट कार्ड्स के जरिए किए गए खर्च पर भी रिस्क वेटेज 125 से बढ़ाकर 150 फीसदी किया गया है। केंद्रीय बैंक ने बैंकों की तरफ से एनबीएफसी को दिए जाने वाले लोन पर भी रिस्क वेट 25 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ाया है।

ग्राहकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चूंकि अब बैंकों और एनबीएफसी को ग्राहकों को लोन देने के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत पड़ेगी, जिससे उनके फंड्स की लागत बढ़ जाएगी। इसका बोझ वे ग्राहकों पर डालने की कोशिश करेंगे। इससे ऐसे सभी लोन का इंटरेस्ट रेट बढ़ जाएगा। इसका मतलब है कि अब लोन लेने पर पहले के मुकाबले ज्यादा EMI ग्राहक को चुकानी पड़ेगी।

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