RBI के लोन के नियम सख्त बना देने से क्या आपके लिए लोन लेना मुश्किल हो जाएगा?

RBI के लोन के नियम सख्त बना देने से क्या आपके लिए लोन लेना मुश्किल हो जाएगा?

RBI पिछले कुछ समय में अनसेक्योर्ड कंज्यूमर लोन, पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन में उछाल से चिंतित था। अब उसने बैंकों और एनबीएफसी के लिए ऐसे सभी लोन पर रिस्क वेट बढ़ा दिया है। ऐसे लोन देने की उनकी सीमा भी तय कर दी है। RBI के डेटा बताते हैं कि अगस्त 2023 में पर्सनल लोन 33 फीसदी बढ़ा, जबकि क्रेडिट कार्ड आउस्टैंडिंग 30 फीसदी बढ़ा। ज्यादा रिस्क वेट का मतलब है कि बैंकों और एनबीएफसी को अब लोन देने के लिए ज्यादा पूंजी अलग करनी होगी। ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर लोन लेने वाला ग्राहक पैसे नहीं चुकाता है बैंक बड़ी मुसीबत में नहीं फंसे। बैंकों और एनबीएफसी को अब उनके बोर्ड की तरफ से अलग-अलग लोन सेगमेंट के लिए तय की गई लिमिट का भी ध्यान रखना होगा। डिप्रसिएटिंग एसेट्स पर दिए गए टॉप-अप लोन को भी अब अनसेक्योर्ड लोन माना जाएगा।

सवाल यह है कि क्या आरबीआई के इस कदम से पर्सनल लोन लेना मुश्किल हो जाएगा? क्या इससे बैंक ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड की लिमिट भी घटा देंगे? क्या पर्नसल और कंज्यूमर लोन का इंटरेस्ट रेट बढ़ जाएंगे? RBI के रिस्क वेट बढ़ाने के बाद से मीडिया में चल रही खबरों ने ग्राहकों को चिंतित किया है। उनके मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। आइए ऐसे कुछ सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।

लोन का इंटरेस्ट रेट तुरंत नहीं बढ़ेगा

कोटक म्यूचुअल फंड में सीनियर एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट शिबानी कुरियन ने कहा कि आरबीआई के इस कदम से लोन पर इंटरेस्ट रेट तुरंत नहीं बढ़ेगा। उन्होंने कहा, “इस कदम से कुछ लोन सेगमेंट की ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। अभी ज्यादातर बड़े बैंकों और एनबीएफसी के पास पर्याप्त पूंजी है। उनके पास रेगुलेटरी लिमिट से ज्यादा कैपिटल है। इसलिए फिलहाल बैंकों को कैपिटल जुटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में बैंक पहले आरबीआई के कदम के संभावित असर की स्टडी करेंगे। उसके बाद वे तय करेंगे कि फंड की कॉस्ट में हुए इजाफा का बोझ वे ग्राहकों पर डालेंगे या नहीं।”

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ज्यादा असर एनबीएफसी पर पड़ने की उम्मीद

कॉर्पोरेट ट्रेनर जयदीप सेन ने कहा कि बैंकों के लिए कॉस्ट तुरंत बढ़ने की उम्मीद नहीं है। लेकिन, बैंक आगे लोन देने में थोड़ी सावधानी बरत सकते हैं। SBI के पूर्व एग्जिक्यूटिव और JCRC LLP के डायरेक्टर नरेश मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई के कदम का ज्यादा असर NBFC पर पड़ने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि उनके लिए फंड की कॉस्ट बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा, “एनबीएफसी बैंकों से पैसे उधार लेते हैं और फिर ग्राहकों को उसे कर्ज के रूप में देते हैं। आरबीआई के इस कदम से उनके लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। लेकिन, इसका कुल कितना असर पड़ेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि एनबीएफसी के कुल पोर्टफोलियो में अनसेक्योर्ड कंज्यूमर लोन की कितनी हिस्सेदारी है।”

एनबीएफसी पहले से ही बरत रहे सावधानी

FREED के सीईओ और फाउंडर रितेश श्रीवास्तव ने कहा कि यह तो स्पष्ट है कि आसान लोन के दिन अब बीत चुके हैं। पहले से ही बैंक और एनबीएफसी लोन देने में पहले से ज्यादा सावधानी बरत रही हैं। पहले लोन एप्रूवल रेट 8 से 12 फीसदी थी, जो घटकर 4 से 5 फीसदी पर आ गया है। आरबीआई कंज्यूमर लोन की तेज ग्रोथ से फिक्रमंद था। इसलिए उसने बैंकों और एनबीएफसी के लिए लोन डिस्बर्सल को महंगा बना दिया है। इससे लोन की ग्रोथ की रफ्तार कम होगी।

क्रेडिट कार्ड ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा असर

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे क्रेडिट कार्ड ग्राहकों पर तुरंत कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्हें तो क्रेडिट लिमिट में कमी का सामना करना पड़ेगा और न ही आउस्टैंडिंग अमाउंट पर ज्यादा इंटरेस्ट चुकाना होगा। हालांकि, क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग पर रिस्क ज्यादा होता है। लेकिन, रिवॉल्व रेट अभी जितना है, उससे ज्यादा कोविड की महामारी से पहले था। इसलिए बैंकों के सामने एसेट क्वालिटी में गिरावट जैसी प्रॉब्लम नहीं है। इसलिए क्रेडिट लिमिट जैसे कदम उठाए जाने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिखती।

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